सोमवार, 12 अगस्त 2013

नेता उवाच !!!

 
!!!शहीदों को सलाम !!!



हमारे देश के नेतायों के बारे में जनता यह सोचती है कि वे लोभी हैं , स्वार्थी हैं,   स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते है.। लेकिन देश की रक्षा करते .हुए शहीद हुए वीरों के लिए भी उनके मन में निंदनीय विचार हो सकते हैं ,यह जानकर हर भारतवासी का मन ग्लानी से भर जाता है ,क्षोभ होता है ।  नेताजी कहते है :-


                                                                            नेता उवाच !!!



"सैनिक और पुलिस रक्षक हैं ,सरहद और नेता के 
जनता तो"कैटल "है , हाँका चाहिए हाँकने के लिए.। 

सरहद पर शहीद हुए तो क्या हुआ ?
शैनिक होते हैं शहीद होने के लिए.। 

जिन्दा  थे, पर कष्ट में थे ,कष्ट में थे परिवार भी 
दशलाख और पेन्सन मिला ,परिवार को और क्या चाहिए?"

नेतायों के सोच पर इंसानियत शर्मशार हुआ 
गीदड़ ज्यों शव को नोचता ,शहीद की कुर्बानी बे-आबरू हुआ.। 

सुना है ,चोर डाकुयों ने अपना भेष बदल लिए 
सर पर टोपी ,बदन पर खादी-कुर्ता पहन लिए.। 

शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजली !!!
  
हाँका - जानवरों को हांक कर इकट्ठे करने वाला व्यक्ति

कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित


23 टिप्‍पणियां:

Sadhana Vaid ने कहा…

कटु सत्य एवँ निर्मम यथार्थ को बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति दी है आपने रचना में ! वाकई हमारे 'नेताओं' के ऐसे उवाच ने हमें शर्मिन्दा ही किया है !

समयचक्र ने कहा…

स त्यता को उजागर करती भावपूर्ण रचना ... आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल मंगलवार (13-08-2013) को "टोपी रे टोपी तेरा रंग कैसा ..." (चर्चा मंच-अंकः1236) पर भी होगा!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

कट्टु सत्य,तीखा कटाक्ष करती रचना ,,,

RECENT POST : जिन्दगी.

Ramakant Singh ने कहा…

सुना है ,चोर डाकुयों ने अपना भेष बदल लिए
सर पर टोपी ,बदन पर खादी-कुर्ता पहन लिए.।

बिना हिचक आपने सत्य कह दिया लगता है दर समाप्त हो गया

सतीश चन्द्र सत्यार्थी ने कहा…

सही है.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

तुस्टीकरण की नीति नें देश को तमाशा बना दिया है और ये इस तरह की बयानबाजी तुस्टीकरण का ही नतीजा है !!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

हर्षवर्धन जी ,आपका आभार !

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

"मयंक '' जी आपका आभार !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सटीक !

Vandana Ramasingh ने कहा…

सटीक रचना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कड़वा सच लिखा है आपने ... पर इन नेताओं को शर्म नहीं आने वाली ...

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

आपकी भावनाओं से सहमत हूँ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कटु सत्य को कहा इस उवाच में

virendra sharma ने कहा…

ये सब के सब धर्म च्युत मौसेरे भाई हैं। गोली मारो इन्हें। वोट की गोली।

Rewa Tibrewal ने कहा…

atyant dukh ki baat hai ye......bhavpurn rachna

देवदत्त प्रसून ने कहा…

स्वंत्रता-दिवस की कोटि कोटि वधाइयां !बहुत रोचक व्यंग्य के लिये साधुवाद !!

virendra sharma ने कहा…

सुन्दर भाव और अपेक्षाओं से संसिक्त यौमे आज़ादी को सार्थक होने का सन्देश देती रचना।

वीरुभाई ,कैंटन (मिशिगन )

veerubhai1947.blogspot.com

Arvind Mishra ने कहा…

सचमुच अशोभनीय ! शहीदों को नमन !

udaya veer singh ने कहा…

अच्छा व्यंग अच्छा प्रयास..... हमारी तिजारती सोच नैतिकता व संवेदना को परे करती जा रही है ...शुभकामनाएं प्रसाद जी ...

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Kailash Sharma ने कहा…

कटु सत्य...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

सुना है ,चोर डाकुयों ने अपना भेष बदल लिए
सर पर टोपी ,बदन पर खादी-कुर्ता पहन लिए.।


bahut khoob ...!!